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लेखनी कहानी -14 january -2023 मकाफात ए अमल एपिसोड 41




काफी देर तक घंटी जाती रही,  कौन कम्बख्त फ़ोन कर रहा है, चेन से सोने भी तो नही देते है, हम्माद ने आँखे मलते हुए कहा और एक नजर मोबाइल पर डाली


जिस पर ज़ोया का नाम देख उसने अपनी आँखे मसली और जल्दी से फ़ोन उठा लिया और कान पर लगाते हुए बोला " ज़ोया! कहाँ पर है तू, तेरा तो ना कोई मैसेज ना ही फ़ोन तू ठीक तो है "


ज़ोया हम्माद की आवाज़ सुन अपने आंसुओ को रोक ना सकी और रोंदी आवाज़ में बोली " मैं ठीक नही हूँ, नही हूँ मैं ठीक, मुझे यहाँ से ले जा हम्माद "


"ए,, ए,, एक मिनट, तू रो क्यूँ रही है? और तेरी आवाज़ इतनी घुटी घुटी क्यूँ निकल रही है? तू कहा पर है " हम्माद ने कहा


"हम्माद, घर वालों को सब पता चल गया है, मुझे यहाँ से ले जाओ नही तो कोई ना कोई अनहोनी कर बैठोऊंगी मैं " ज़ोया ने कहा रोते हुए


"देख जोया, मैं जानता हूँ तू किसी परेशानी में है, आखिर क्या पता चल गया घर वालों को " हम्माद ने कहा


"यही की तू और मैं एक दुसरे से प्यार करते है, और शादी करना चाहते है, अब्बू को तेरे और मेरे बीच जो कुछ भी था उसके बारे में पता चल गया है, उन्होंने मुझे कमरे में बंद कर दिया है, और अब मेरी शादी करा देना चाहते है " ज़ोया ने कहा


"क्या! शादी?" हम्माद ने चौक कर कहा


"हाँ, शादी वो मुझे तुझसे दूर कर देना चाहते है " ज़ोया ने कहा


हम्माद के मूंह में से तो मानो जुबान ही कट कर गिर गयी हो, उसके पास कोई लफ्ज़ ही नही थे लेकिन फिर उसने बात को बनाते हुए कहा " लेकिन ये सब कैसे हुआ, आखिर तेरे अब्बू को किसने बताया मेरे और तेरे बारे में "


"नही जानती, मुझे लगता है उन्होंने मुझे तेरे साथ देख लिया होगा, लेकिन अच्छा ही हुआ कभी तो सच सामने आना ही था तो अब आ गया, लेकिन अब तुझे हिम्मत दिखानी होगी, तुझे मुझे इस कैद से रिहा कराना होगा, वरना मैं अपनी जान दे दूँगी तू आ रहा है ना आज और अभी " जोया ने कहा


"अ,,, अ,,, अ,, आज और अभी पागल है क्या, समय देख रही है रात का एक बज रहा है, सब लोग सौ रहे होंगे " हम्माद ने कहा


"मुझे कुछ नही पता, तू आएगा या नही " ज़ोया ने कहा


हम्माद तो बहुत मुश्किल में आ गया था लेकिन उसने कच्ची गोलिया नही खेली थी इसलिए उसे समझाते हुए बोला " ज़ोया! जितना प्यार तू मुझसे करती है उतना ही मैं भी तुझसे करता हूँ, जैसे तू मेरे बिना नही रह सकती है वैसे ही मैं भी नही रह सकता, मैं भी जानता हूँ हमारा सच सामने आने के बाद तेरे अम्मी अब्बू ने तुझ पर बहुत जुल्म किया होगा, लेकिन तू सब्र रख मैं कल सुबह ही कुछ न कुछ करता हूँ ताकि तुझसे अच्छे से बात हो सके, लेकिन तू अभी इस तरह बिना सोचे समझें जज़्बाती होकर फैसला ना ले "


"जज़्बाती ना हूँ तो क्या किसी और की दुल्हन बनने का इंतज़ार करू " ज़ोया ने कहा


"नही दुल्हन तो तू मेरी ही बनेगी लेकिन बस थोड़ा सा सब्र कर बाकी मैं खुद सब संभाल लूँगा, अब तूने मुझे बता दिया है तो कोई भी चिंता मत कर मैं भी तो देखू कौन माई का लाल पैदा हुआ है जो मेरी मेहबूबा को अपनी दुल्हन बना कर ले जाने की हिम्मत रखता है, लाशें बिछ जाएंगी लाशें " हम्माद ने थोड़ा गुस्से से कहा

"मुझे बहुत डर लग रहा है, आज कल में घर वाले लड़के के घर जा रहे है, देखना वो रिश्ता पक्का कर देंगे " ज़ोया ने कहा


"लड़के वाले के घर, क्या मतलब तेरा, क्या उन्होंने लड़का देख रखा है " हम्माद ने पूछा

"मुझे कुछ नही मालूम हाँ बस कुछ दिन पहले कुछ औरते आयी थी मुझे देखने अपने लड़के के लिए, अब्बू ने उनसे मना कर दिया था लेकिन अब वो लोग मेरी शादी वही कर देंगे, लेकिन मैं ऐसा होने नही दूँगी " ज़ोया ने कहा


"देख तू परेशान न हो, मैं कुछ करता हूँ " हम्माद ने कहा

"ठीक है, अगर तू इतना कह रहा है तो मैं रुक जाती हूँ, लेकिन बता दू मेरे पास ज्यादा वक़्त नही है, मैं भाग कर तेरे घर आ जाउंगी जो भी करना इन सब से पहले करना " ज़ोया ने कहा


"ठीक है, तू फ़ोन रख मुझे सोचने दे कि क्या करना है " हम्माद ने कहा

ज़ोया ने फ़ोन रख दिया और बाहर आने के लिए जैसे ही दरवाज़ा खोला, बाहर आरज़ू को खड़ा पाया

उसे सामने देख वो चौक गयी, अ,, अ,,, आपी तुम

"हाँ, मैं,, क्या कर रही थी अंदर इतनी देर से?" आरज़ू ने पूछा

"क्या मतलब आपका, बाथरूम में आयी थी क्या अब मेरे बाथरूम में आने जाने पर भी पाबन्दी लगा दी जाएगी " ज़ोया ने कहा


"झूठ मत बोल, ये तेरे हाथ में क्या है? तूने मोबाइल लिया था ना, बता उसी से बात कर रही थी ना " आरज़ू ने कहा उसके हाथ की तरफ देख कर


"ज़ोया अपना हाथ अंदर करते हुए, न,, न,, नही तो म,,, म,,, मोबाइल तो आपके पास है " ज़ोया ने कहा

"झूठ, एक और झूठ,, मोबाइल मेरे पास नही तेरे पास है, तू कितनी ही कोशिश क्यूँ ना करले लेकिन होगा वही जो अब्बू चाहेएंगे, तेरी शादी उससे तो नही होगी जिसे तू पसंद करती है," आरज़ू ने कहा

"वो मुझे ले जाएगा, तुम लोग देखते रह जाओगे, मैंने उसे बता दिया जो कुछ भी तुम लोगो ने मेरे साथ किया है, मुझे इस तरह कैद करके जबरदस्ती शादी कराने की जो प्लानिंग है वो सब ऐसे ही रह जाएगी " ज़ोया ने कहा आँखों में आँखे डाल कर


"बगैरत, बेहया,," आरज़ू ने खींच कर थप्पड़ मारते हुए कहा उसे

ज़ोया का गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ गया था, वो सामने ख़डी अपनी बड़ी बहन को एक दुश्मन की भांति देख रही थी, आरज़ू ने उसके हाथ से मोबाइल छीन लिया, और अपने बिस्तर पर आकर लेट जाती है, ज़ोया भी गुस्से में अपने बिस्तर पर आकर लेट जाती है, और ना जाने क्या कुछ कहती रहती है


वही दूसरी तरफ हम्माद अपना मोबाइल बिस्तर पर फेक कर कहता है " उफ्फ,, बैठे बैठे ये मुसीबत कहा से गले लग गयी,, कुछ सोच हम्माद इससे पीछा छुड़ाने का अगर ये घर आ गयी तो तेरा बाप इसके साथ तेरा निकाह पढ़ा देगा,,, और तू जीवन भर के लिए उसका शोहर बन जाएगा सोच कुछ सोच, मुझे अभी इन चक्करो में नही पड़ना

आखिर उसके बाप को पता कैसे चल गया "


हम्माद ऐसे ही गुस्से में बिस्तर पर लेट जाता है तब ही उसके मोबाइल पर एक मैसेज आता है, हम्माद को लगा जोया ने मैसेज भेजा है, लेकिन वो मेरी का मैसेज था

हम्माद उस समय गुस्से में था इसलिए उसे कोई रिप्लाई नही दिया और मोबाइल स्विच ऑफ करके सौ जाता है


आखिर कार सुबह हो जाती है, आरज़ू रात वाली घटना अपनी माँ को विस्तार से बता देती है, की किस तरह ज़ोया ने चोरी छिपकर उसका फ़ोन उठा कर उस हम्माद को फ़ोन कर सब बता दिया है


उसे डर था की कही हम्माद आकर कोई हंगामा ना करदे, और बेवजह पूरे मोहल्ले में बदनामी न हो जाए, और तो और अगर ज़ोया के इस प्रेम प्रसंग की बात की भनक उसके ससुराल में पता लग गयी तब उसकी सास और नन्दे और शोहर उसे ताना देने में कोई भी कसर नही छोडेंगे


अब तो सहर जी के लिए उसकी शादी करना बहुत ज़रूरी हो गया था, उन्होंने तुरंत ही अपने शोहर अशफ़ाक़ साहब से बात की और आज शाम को ही लड़के वालों के घर चलने को कहा, अशफ़ाक़ जी अभी भी कश्मकश में थे, लेकिन अपनी बीवी के समझाने बुझाने के बाद उन्होंने चलने की हामी भरी

उन्हें लगता है की शायद जोया को थोड़ा समझा बुझा कर उसे सीधी राह पर लाया जा सकता है, उन्हें डर है की कही वो जल्दबाज़ी में कोई ऐसा फैसला ना करदे जिसका उन्हें बाद में पछतावा हो, क्यूंकि जवानी में हर किसी से गलती हो ही जाती है, और बड़ो का तो काम ही होता है की छोटो की गलतियों को सुधारने में उनका साथ देना


लेकिन सहर जी ने उन्हें बताया जो कुछ भी कल रात हुआ और ये भी की ज़ोया अब सुधरने वालों में से नही है, उसे समझा बुझा कर कोई फायदा नही उसके सर पर उस लड़के के प्यार का भूत सवार है,इससे पहले की वो हमारी बरसों की कमाई इज़्ज़त को पैरों में रोंध कर चली जाए हमें उसकी शादी करना होगी,यही एक आख़री हल है

आखिर कार अशफ़क़ साहब भी मान गए, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया था की अगर उन्हें लड़का अच्छा और दीन दार ( धर्म से जुडा हुआ /संस्कारी )लगा तब ही वो अपनी बेटी का हाथ उसके हाथ में देंगे नही तो वो मना कर देंगे


आखिर कार शाम को सब लोग तबरेज के घर चले जाते है,तबरेज के घर वालों ने उनके आव भगत में कोई भी कमी नही रखी, उनका स्वागत बेहद अच्छे से किया, अशफ़ाक़ साहब को तबरेज और उसके घर वालों ने बहुत मुतासिर ( प्रभावित ) किया।


वो वहाँ से आकर काफी पुरसुकून थे,कि उनकी बेटी उस घर में जाकर बेहद खुश रहेगी, सहर जी भी अशफ़ाक़ साहब को खुश देख खुश थी और उनसे पूछ बैठी

" तो अब आपकी क्या राय है? क्या अपनी बेटी उन्हें देंगे "


"लोग तो मुझे अच्छे लगे, और साथ में वो लड़का तबरेज भी बहुत ही समझदार और ज़िम्मेदार लगा, जैसा बताया था वैसा ही लगा, लेकिन फिर भी बेटी का मामला है थोड़ी जांच पड़ताल कर लेता तो अच्छा रहता " अशफ़ाक़ साहब ने कहा


"बात आपकी सही है, जाँच पड़ताल करना अच्छी बात है, आखिर कार हमारी बेटी कि जिंदगी का मामला है, लेकिन आप इस तरफ भी ध्यान दीजिये कि हमारी बेटी गली के एक आवारा लड़के के प्यार में मुबतिला है, अगर ये बात बाहर निकली या हमने थोड़ी भी देर की तो कोई भी अनहोनी हो सकती है, मेरी मानिये अल्लाह का नाम लीजिये और ये रिश्ता पक्का कीजिये अगर वो जल्दी शादी का कहते है तो हाँ कर दीजिये गा, मेरे पास कुछ सोने के कंगन और हार है, उन्हें तुड़वा दूँगी, कम से कम हमारी इज्जत तो बची रहेगी " सहर जी ने कहा


"शायद आप ठीक कह रही है, वक़्त की नजाकत को समझते हुए हमें इस रिश्ते को क़ुबूल कर लेना चाहिए, आह मेरी बेटी आह, क्या सोचा था मैंने तुम्हारे बारे में, तुम मेरा मान थी तुम्हे मैं कुछ बनाना चाहता था, लेकिन तुमने मेरा मान तोड़ दिया, अच्छा नही किया तुमने " अशफ़ाक़ साहब ने एक गहरी सास लेते हुए कहा


"चलिए अब छोड़ दीजिये, खुदा से अपनी बेटी के अच्छे नसीब की दुआ कीजिये, ये उम्र ही ऐसी होती है क्या सही क्या गलत पता ही नही चलता, और आज कल का तो दौर ही इतना ख़राब है, ज़ब से ये मोबाइल आया है तबसे तो इसने नयी पीड़ी का बेडा गर्क ही करके रख दिया है, आप परेशान न हो शायद हमारी बेटी की किस्मत में नही था कुछ बनना, बस अब दुआ है कि वो उस घर में हसीं ख़ुशी आबाद रहे ताकि हम लोग भी यहाँ खुश रह सके " सहर जी ने कहा


"आमीन " अशफ़ाक़ साहब ने कहा और वहाँ से उठ कर चले गए


उन्हें इस तरह उदास वहाँ से जाते सहर जी ने एक गहरी सास ली और बोली " ज़ोया तूने वाकई अच्छा नही किया, हमें तुझसे ये उम्मीद नही थी, तूने अपने बाप का भरोसा तोड़ा है जो शायद अब कभी जुड़ न पाए "



तबरेज, जो की अपने बिस्तर पर लेटा जोया के ख्वाब देख रहा था, उसे यकीन नही हो रहा था की उसकी और उसकी पसंद की लड़की की बात आगे बढ़ गयी है, उसे उम्मीद थी की उसके घर वाले हाँ में ही जवाब देंगे, तबरेज ऐसे ही मंद मंद मुस्कुरा रहा था की पास रखा उसका फ़ोन बजता है


उस पर जो नंबर और नाम था उसे देख तबरेज झट से फ़ोन उठाता है


"मुबारक हो, मुबारक हो भाई, बात इतनी आगे बढ़ गयी और हमें बताया भी नही " फ़ोन पर मौजूद उसके दोस्त जुनेद ने कहा


"यार ऐसी बात नही है, तुझे नही बताऊंगा तो और किसे बताऊंगा, वो बस घर के काम में थोड़ा उलझा हुआ था इसलिए तुझे फ़ोन भी नही कर सका, और तुझे तो मैंने बुलाया भी था लेकिन तू ही नही आया " तबरेज ने कहा


"हाँ, हाँ, जानता हूँ, मज़ाक कर रहा था, तूने बुलाया था लेकिन तेरी भाभी को डॉक्टर के पास लेकर गया था, उसकी अपॉइंटमेंट थी आज दोपहर की इसलिए नही आ सका वरना मैं और तेरी ख़ुशी में शरीक न हूँ ऐसा हो ही नही सकता " जुनेद ने कहा


"क्या हुआ? क्या बताया डॉक्टर ने? सब ठीक तो है " तबरेज ने पूछा


"हाँ, वही पुरानी बाते फिर से कुछ टेस्ट बोले थे करने को, उन्हें ही कराते कराते इतनी देर हो गयी, कल फिर जाना है रिपोर्ट लेने उसके बाद ही कुछ पता चल सकेगा " जुनेद ने कहा


"अल्लाह पर यकीन रख मेरे भाई, देखना सब अच्छा होगा उसके घर देर है अंधेर नही, देखना बहुत जल्द तेरे आँगन में औलाद की किलकारिया गूंजेगी " तबरेज ने कहा


"हाँ, भाई वो तो हर दम है, उसकी मर्ज़ी के बिना तो कुछ भी मुमकिन नही, चल अच्छा ये सब छोड़ ये बता आज का दिन केसा गया, ज़ोया के घर वाले आये तो उनका केसा रावय्या था, यकीनन तू और तेरा घर बार उन्हें पसंद आया होगा, " जुनेद ने कहा


"पता नही, दिलो का हाल जानने का हुनर मुझमे नही लेकिन हाँ चहरो से तो खुश लग रहे थे, बाकी अल्लाह जाने " तबरेज ने कहा


"परेशान न हो सब अच्छा होगा, देख पहले तो वो रिश्ता क़ुबूल भी नही कर रहे थे फिर कैसे अचानक वो तुमसे मिलने आ गए, आगे भी अच्छा होगा अल्लाह से उम्मीद अच्छे की करनी चाहिए और तुझमे और तेरे घर वालों में बुराई क्या है, एक बाप को अपने होने वलए दामाद में क्या चाहिए लड़का पढ़ा लिखा हो, मेहनती हो, दो वक़्त की रोती कमाना जानता हो, रिश्तों की एहमियत जानता हो उन्हें निभाना जानता हो, छोटो से प्यार और बडो की इज्जत करने वाला हो, वो सारे खूबीया तो तुझमे है, फिर मना क्यूँ करेंगे " जुनेद ने कहा


"चल अब मुझे बेरी के झाड पर भी मत चढ़ा, और बता क्या हो रहा है?" तबरेज ने बात काटते हुए पूछा


"कुछ नही बस, वही है सब पुरानी " जुनेद ने कहा और दोनों ने काफी देर बात की और फिर सौ गए फ़ोन रख कर



वही दूसरी तरफ हम्माद फ़िक्र मंद था की आखिर जोया से कैसे छुटकारा हासिल किया जाए, अगर उसने कोई बेवकूफी करदी तब वो बहुत बुरी तरह फ़स जाएगा

उसने मोबाइल भो हाथ में नही लिया था कि कही जोया का कोई मैसेज या फ़ोन न आ जाए, जिसके चलते उसने मेर्री का भी मैसेज नही देखा था जिसने उसको मैसेज किया था


ज़ोया को आरज़ू ने खाना दिया लेकिन उसने नही खाया, आरज़ू ने बहुत समझाया लेकिन वो नही मानी और जाकर बिस्तर पर लेट जाती है, आरज़ू से उसकी हालत देखी नही जा रही थी, लेकिन वो कुछ कर भी तो नही सकती थी आखिर कार उसकी बड़ी बहन थी उसे उसका अच्छा और बुरा उससे ज्यादा नजर आ रहा था


आखिर कार वो रात और अगला दिन भी निकल गया, अशफ़ाक़ साहब ने भी हाँ केहदी थी रिश्ते को लेकर, इस बात कि खबर ज़ब तबरेज के घर वालों को हुयी तब उनके यहाँ तो जश्न जैसा माहौल हो गया था, सब बेहद खुश थे


अब बस सबको यही चाहत थी कि जल्द से जल्द दोनों कि शादी हो जाए


ज़ोया को भी उसका रिश्ता पक्का होने वाली बात पता चल गयी थी,


आखिर क्या रावय्या होगा जोया का अपनी शादी कि बात को लेकर, क्या हम्माद कुछ करेगा? क्या ज़ोया को वहाँ से निकलेगा, क्या ज़ोया हम्माद के पास जा पायेगी हम्माद उसे अपनायेगा जानने के लिए पढ़ते रहिये 

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3 Comments

अदिति झा

16-Apr-2023 08:39 AM

Nice

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Varsha_Upadhyay

12-Apr-2023 06:26 PM

👏👌🙏🏻

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